तब्लीग़ी जमातः कोरोना फैलाने के आरोप में दर्ज मुक़दमों का क्या हुआ?

तब्लीग़ी जमातः कोरोना फैलाने के आरोप में दर्ज मुक़दमों का क्या हुआ?



कोविड महामारी के दौरान तब्लीग़ी जमात से जुड़े मामले की जांच में लापरवाही के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते सप्ताह दिल्ली पुलिस को लताड़ लगाई.

बीते साल मार्च में तब्लीग़ी जमात के अनुयायियों का दिल्ली में जमावड़ा हुआ था. कोविड महामारी रोकने के लिए केंद्र सरकार के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध के बावजूद हुए इस जमावड़े को लेकर तब्लीग़ी जमात की जमकर आलोचना हुई.

जमात पर कोरोना संक्रमण फैलाने के आरोप भी लगाए गए. इसी सिलसिले में देशभर में की जगह तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ मुक़दमे भी दर्ज किए गए.

तब्लीग़ी जमात में शामिल होने के लिए विदेश से आए अनुयायियों को भी अभियुक्त बनाया गया था.

लेकिन बीते साल 15 दिसंबर को दिल्ली की एक अदालत ने 36 विदेशी नागरिकों पर लगे सभी आरोप सबूतों के अभाव में खारिज कर दिए थे.

अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये साबित करने में नाकाम रहा है कि अभियुक्त 12 मार्च से 1 अप्रैल के बीच दिल्ली में तब्लीग़ी जमात के मुख्यालय में मौजूद थे. आरोप थे कि इस दौरान ही कोविड से जुड़े नियमों का उल्लंघन हुआ था.

देशभर में तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ दर्ज हुए मामलों और उनकी ताजा स्थिति की जानकारी के लिए बीबीसी ने अभियुक्तों रिज़वान, अब्दुल वाहिद, मोहम्मद नौशाद और फिरोज़ के अधिवक्ता आशिमा मंडला से बात की.


सवाल- तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ दिल्ली और दूसरे राज्यों में मामले कब दर्ज हुए, प्रमुख मामले क्या हैं?

सबसे पहले मामले दिल्ली में 30 मार्च को मरकज़ समिति के सात सदस्यों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए.

बाद में इसी में 900 से अधिक विदेशी नागरिकों के नाम भी जोड़ दिए गए. अगले कुछ दिनों में 800 से अधिक विदेशी नागिरकों के ख़िलाफ़ देश के कई हिस्सों में कई मामले दर्ज किए गए.

सबसे अधिक मुक़दमे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिल नाडु, तेलंगना, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडीशा में हुए.

भारतीय नागरिकों के ख़िलाफ़ भी मामले दर्ज हुए थे. इन पर लॉकडाउन के ख़िलाफ़ विदेशी नागरिकों को आश्रय देने के आरोप थे.

सवाल- कुल मिलाकर दिल्ली और देशभर में कितने मुक़दमे हुए थे?

देशभर में 150 से अधिक मुक़दमे दर्ज हुए. कई मामलों में विदेशी नागरिकों पर एक जैसे ही आरोपों में कई जगह मुक़दमे दर्ज हुए.

सिर्फ़ दिल्ली में ही विदेशी नागरिकों और स्थानीय लोगों के ख़िलाफ़ 30 से अधिक मुक़दमे हुए.

सवाल- दिल्ली और देशभर में कुल मिलाकर कितने लोग गिरफ़्तार हुए थे?

दिल्ली में गिरफ़्तारियां नहीं हुईं थीं लेकिन 2000 के क़रीब लोगों को क्वारंटीन में रखा गया था.

भारतीय नागरिकों को 40 दिनों के लिए क्वारंटीन किया गया था जबकि विदेशी नागरिकों को दो महीनों से अधिक समय के लिए सरकारी केंद्रों में क्वारंटीन में रखा गया था.

दिल्ली सरकार ने विदेशी नागरिकों की पुलिस हिरासत का आदेश दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी गई थी और हाई कोर्ट ने आदेश को रोक दिया था.

अदालत ने विदेशी नागिरकों को क्वारंटीन केंद्र की जगह दिल्ली में तब्लीग़ी जमात के स्वयंसेवकों की तरफ़ से दिए गए स्थान पर रहने की अनुमति भी दे दी थी.

सवाल- अब तक कुल कितने मामले बंद हो गए हैं, कितने की जांच चल रही है और कितनों में अदालत में सुनवाई हो रही है?

दिल्ली में दर्ज लगभग 30 मुक़दमों में से 15 की फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इन में स्थानीय नागरिक अभियुक्त हैं. देश भर में पिछले 18 महीनों में 95 फ़ीसदी से अधिक मामले बंद हो चुके हैं.

सवाल- अभी तक कितने अभियुक्तों को ज़मानत मिल चुकी है?

देशभर में गिरफ़्तार हुए सभी लोग या तो दोषमुक्त हो चुके हैं या फिर मामले बंद हो गए हैं. दिल्ली में जो 15 मामले चल रहे हैं उनमें किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.

मुक़दमे की सुनवाई पर फिलहाल रोक लगी हुई है और मामले खारिज करने के लिए दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

सवाल- कितने विदेशी नागरिकों को भारत से डिपोर्ट किया गया है? जिन्हें भारत से वापस भेजा गया वो लोग किन देशों से आए थे?

भारतीय अदालतों में मामले ख़त्म होने के बाद सभी विदेशी अपने देश लौट चुके हैं.

विदेशी नागरिकों का अंतिम समूह इसी महीने लौटा है. इनमें नौ नागरिक थाईलैंड के थे. ये लोग 21 महीनों से भारत में थे. इन्हें सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया गया है.

तब्लीग़ी जमात में 50 से अधिक देशों के लोग थे. इनमें अधिकतर इंडोनेशिया, मलेशिया, किर्गिस्तान, बांग्लादेश, थाईलैंड, श्रीलंका और अमेरिका से थे.

सवाल- तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों को किन धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया गया था?

अभियुक्तों पर 1897 के महामारी क़ानून की धारा 3 के तहत मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा आपदा प्रबंधन क़ानून की धारा 51/58, आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा), धारा 269 (जो कोई भी अवैध रूप से कोई ऐसा कार्य करता है, जिससे वह जानता है कि जीवन के लिए खतरनाक किसी भी बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना है), 270 (जो कोई भी दुर्भावना से कोई कार्य करता है), 271 (क्वारंटीन नियम की अवहेलना), भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साज़िश रचना) और विदेशी अधिनियम की धारा 14-बी के तहत मामले दर्ज हुए थे.































































































































































































































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